मैं अपनी दोस्ती को शहर में रुसवा नहीं करता, कभी मुहँ में उसका नाम तो कभी सिगरेट का साथ, हम को मिटा सके ये ज़माने में दम नहीं, हमसे ज़मान
मैं अपनी दोस्ती को शहर में रुसवा नहीं करता, कभी मुहँ में उसका नाम तो कभी सिगरेट का साथ, हम को मिटा सके ये ज़माने में दम नहीं, हमसे ज़मान